Tuesday, August 24, 2010

शायरी


दर्द होता होगा उस फूल के दिल को भी
जब तोड़ के उसे आप अपने महबूब को देते हो
तोड़ देता है जब वही महबूब दिल को आपके
फिर आप अपने दिल के लिए क्यों रोते हो


कुछ मजबूरिया रही होंगी जो उसने इज़हार नहीं किया |
वरना प्यार को लफ्जो की जरूरत नहीं होती ||
ये तो वो एहसास से जो आँखों से छलकता है |
प्यार में किसी को इजहारे वफ़ा की जरूरत नहीं होती ||


एक वो है जो नहीं जानते की क्या है वो हमारे लिए |
एक "आदि" है जो कहता है मेरा सब है तुम्हारे लिए ||
खुदा ने जाने क्या लिखा है किस्मत में हमारी |
हम हो के भी भी नहीं हो सकते है उनके और न वो बने है हमारे लिए  ||

 वो कहते है हमसे की आपकी दोस्ती मागते है हम उम्र भर तक के लिए|
उन्हें क्या पता "आदि" ने तो जिन्दगी नाम कर दी है उनके, मरते दम तक के लिए||

डर लगता है हमें उस नाम से यारो |
कहती है ये दुनिया जिसे दोस्ती ||
कभी तो लिखी जाती है इतिहास के पन्नो में |
कभी मिटा देती है किसी की हस्ती  ||



आपकी यादों को दिल दे लगाके रखेगा ये "आदि" का वादा है|
दुनिया की पहचान नहीं बस "आदि" तो सीधा- साधा है ||
दोस्ती हम निभायेगे जब तक है हम |
प्यार तो बस प्यार है, चाहे पूरा है या हिस्सा उसका आधा है ||




6. शिकार हो गए हम तो किसी की हंसी के |
निसार हो गए हम तो किसी की दिल्लगी पे||
क्या हुआ जो करके वादा वो भूल गए|
मजबूर तो हम भी थे अपने दिल की बेबसी पे ||
 3rd  Aug, 2010

7. देखे लोग कैसी भी नजरो से हम तो गुज़र जायेगे अपनी मस्ती में  |
गुज़रते है हम जहा से भी लोग देखते रह जाते है बात ही ऐसी है हमारी हस्ती में ||
नदी हो या हो सागर की लहरे हम नहीं डरने वाले |
उन लहरों को पार करने के लिए बैठे है हम खुदा की बनायीं प्यार भरी कश्ती में||
7th Aug, 2010

8. ना जाने क्यों वो आजकल बदले -२ से नज़र आते है वो
ना जाने क्यों लगता है कुछ बहाने से बनाते है वो
कभी तो एहसास दिलाते है की पास है वो मेरे
ना जाने क्यों फिर पास होते हुए भी दूर नज़र आते है वो 

I am So Confused .......................................?

9.  हवाओ ने भी अपना रुख मोड़ लिया है
जब से इंसानों ने अपना मुख मोड़ लिया है
अब क्या करेगी ये हवाए गाव जाकर
जब हम लोगो ने ही गावो से नाता तोड़ दिया है

10. कुछ तो जिन्दगी जीने के लिए चाहिए
तू नहीं तेरी तस्वीर ही सही
अब याद आ रहा है तुने कब कहा था की मोहबत है "आदि" तुझसे
ये बाते तो  मैंने ही तुझसे थी कही 
8th Aug, 2010

11. अपनी सांसो पे तुम्हे एतबार करना होगा
अपने दोस्तों से तुम्हे प्यार करना होगा
तनहा पाओ गर खुद को कभी एक आवाज देना कह के "आदि"
गर मौत भी मेरे करीब होगी तो उसे भी अपना मुख मोड़ना होगा

"जिन्दगी दोड़ने लगे गर काटने आपको बस दिल को अपने बच्चा कर लेना" 
9th Aug, 2010


13. अब बात जब आपने पढने कि कि
तो हम तो उनकी आँखों से ही पढ़ लिया करते है
लोग सपने में किताबे देखते है
और हम किताबो में भी उनके सपने लिया करते है
11th Aug, 2010

14. क्या मिटेगे ये लोग देश कि आन कि खातिर
जो बेच दे अपना इमां भी अपनी शान के खातिर
कहता है "आदित्य" कि दफा करो इनको यहाँ से
जो जीते है खुद के लिए क्या करेगे वो इन्सान कि खातिर
 
15.कभी लोगो कि मस्ती भरी आवाजो से गूंजता था जो कुआ
आज पतों कि डरावनी सरसराहट से गूजता है वो कुआ
कभी प्यासों कि प्यास बुझाता था जो कुआ
आज खुद एक बूंद पानी को तरसता है वो कुआ
तरसता है वो कुआ ..........


12th Aug, 2010

16. हमारी आँखों में किसी को पहचानना इतना भी आसान नहीं
बस एक धुंधली सी तस्वीर नज़र आएगी
देखना ही है तो उसकी हाथो कि लकीरों में देखो
"आदि" के नाम कि एक लकीर नज़र आएगी 


18 Aug,2010 

17. बस बात है कही अनकही उन बातो कि
जो हर पल दिल में मचलती रहती है
दुनिया के उस भाव कि.जो हर पल अपना रंग बदलती रहती है
रिश्ते शायद कही खो गए है अहम् के भाव में
कुटिल मुस्कान है सबके चेहरे पे जो सबको ठगती रहती है 


18. खंजर से हाथो मे लकीरे बनाना कोई बड़ी बात नहीं
हम एक और दिल बना दे अपने सीने पे खंजर से गर वो कहदे कि वो मेरे साथ नहीं
उन हाथो से इस से बड़ा काम और क्या हो सकता है जिन हाथो मे उसका हाथ नहीं
Oct 9, 2010
 किस से करे शिकवा किस से शिकायत करे
बेहतर है हम अपनी महफिल से ही रुखसत करे
हम ना होंगे तो कम से कम मेरी महफिल कोई किसी के दिल से तो ना खेलेगा 
हमारी महफिलों मे हमी से खेले कोई तो क्यों हम अपनी महफिलों मे शिरकत करे



कुछ लोग दिल मे किसी के घर बना के 
उससे परिंदों के रहने के लिए छोड़ देते है 
कोई तो बताओ इसकी वजह "आदित्य" को 
क्यों एक मोड़ आने पे सब साथ छोड़ देते है 
पहले तो बसते है दिल मे अपने 
और फिर एक दिन दिल तोड़ देते है 
"आदित्य सकलानी" 

जो खो गया है मिलकर जिन्दगी में उस फिर से पाना होगा
आजमा ले जिसे भी "आदित्य" के होसलों को आजमाना होगा
कोई रोक नहीं सकता मुझे मेरी मंजिल तक पहुँचने से
"दिल से दिल तक" पहुँचने के लक्ष्य को उस के मुकाम तक पहूँचाना होगा
**दिल से दिल तक**
कुछ तो हुआ है "आदित्य" जो नज़र नहीं आ रहा है
क्या हम दम तेरा तुझ से कुछ छुपा रहा है
**दिल से दिल तक**